“मीठे बच्चे -
- तुम्हें कर्मातीत बनकर जाना है, इसलिए अन्दर में कोई भी फ्लो नहीं रहना चाहिए, अपनी जांच कर कमियां निकालते जाओ”
- इन आंखों से देखने वाली कोई भी चीज़ सामने न आये। देखते भी न देखो।
- देह में रहते देही-अभिमानी रहो। यह अवस्था जमाने में टाइम लगता है।
- बुद्धि में सिवाए बाप और घर के कोई वस्तु याद न आये, इसके लिए अन्तर्मुखी हो अपनी जांच करनी है।
- अपना चार्ट रखना है।
- सभी से ममत्व निकाल एक लवली बाप को याद करना है। वैल्युबुल हीरा बनना है।
- जैसे बाप ने हम बच्चों को श्रृगांर किया है, ऐसे सबका श्रृगांर करना है।
- कांटों को फूल बनाने की सेवा में लग जाना है।
- ट्रस्टी होकर रहना है।
- जो बच्चे एक बाप के स्नेह में समाये हुए हैं वे सर्व प्राप्तियों में सम्पन्न और सन्तुष्ट रहते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का सहारा आकर्षित नहीं कर सकता।
- उन्हें सहज ही एक बाप दूसरा न कोई - यह अनुभूति होती है। उनका एक बाप ही संसार है, एक बाप द्वारा ही सर्व संबंधों के रस का अनुभव होता है।
- उनके लिए सर्व प्राप्तियों का आधार एक बाप है न कि वैभव वा साधन इसलिए वे सहज आकर्षण मुक्त हो जाते हैं।
- खामियां अवस्था को आगे बढ़ने नहीं देती, इसलिए अब पूरी रीति पुरूषार्थ करना है।
- बाप कहते हैं तुम्हारी अवस्था ऐसी पक्की हो, जो शरीर छूटने समय अन्त में कोई भी याद न आये।
- एक बाप की याद से ही तुम्हारे पाप कट जायेंगे और पवित्र हीरे बनेंगे।
- आत्मा को लवली प्योर बनाने के लिए बाप कहते हैं - बच्चे, जितना मुझे याद करेंगे तुम अथाह लवली बनेंगे।
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