शंकर और उनके अलंकारों का वास्तविक अर्थ
शंकर हम आत्माओं के तपस्या रूप का प्रतीक है। शंकर के अलंकारों का गुह्य अर्थ है। चलिए जानते हैं
१. निर्वस्त्र - शरीर हम आत्माओं के वस्त्र के समान है। हम आत्माये बिना शरीर रुपी वस्त्र के
२. अर्द्ध चंद्र - चन्द्रमा की कलाएं कम और ज्यादा होती हैं ऐसे ही हम आत्माओं की भी
३. जटाओं से गंगा - गंगा बुद्धि रुपी जटाओं से निकले हुए ज्ञान का प्रतीक है
४. खुली आँखों से तपस्या - राजयोग का अभ्यास खुली आंखों से किया जाता है
५. गले में सर्प - सभी विकार रुपी विषैले सर्प तपस्वी मूर्त आत्माओं के वश में होते हैं
६. शेर की खाल का आसन - राजयोगी आत्माएं शेर जैसी परिस्थिति को भी अपना आसन बना उस पर विश्राम करती हैं
७. पास में त्रिशूल - अपने आदि मध्य अंत की स्मृति ही हथियार है
८. मस्तक में तीसरा नेत्र - सदा अपने आत्मिक रूप की स्मृति
९. पर्वत पर निवास - पर्वत की चोटी जैसी अपनी सबसे ऊँची मानसिक स्थिति
१०. पद्मासन में बैठ तपस्या - आत्मा अपने परम प्रिय पिता शिव की स्मृति में सदा लगन
No comments:
Post a Comment