हम सभी एक खुशहाल ज़िन्दगी जीना चाहते हैं। लेकिन कही न कहीं , किसी न किसी मोड़ पर हम बोर महसूस करते हैं या बहुत जल्दी ऊब जाते हैं, इसका कारण है कि हमे कोई भी चीज़ एक ही तरह से लगातार करना पसंद नही है।
जैसे कि उदाहरण के लिए हम देखे की अगर हमे एक ही डिश रोज़ाना खाने में मिले तो क्या होगा? एक दिन , दो दिन, तीन दिन, उसके बाद? उसके बाद ऐसा लगेगा जैसे कि हम एक मरीज हैं। ठीक उसी प्रकार हमारा मन का भोजन है हमारे विचार। और हमारे विचारों को प्रभावित करती है हमारी दिनचर्या। यदि हमारी दिनचर्या सदा एक जैसी है, उसमे कोई नवीनता नही, तो हम जीवन मे बुझा बुझा महसूस करते हैं। तो हमे जरूरत है , हमारी दिनचर्या में नवीनता लाने की। या यूं कह सकते हैं कि वही दिनचर्या को नया बनाने की। इससे हमे उमंग रहेगा और हम सकारात्मक संकल्प रच सकते हैं। और हर दिन नए उमंग और आशा के साथ जी सकते हैं।
जैसे कि उदाहरण के लिए हम देखे की अगर हमे एक ही डिश रोज़ाना खाने में मिले तो क्या होगा? एक दिन , दो दिन, तीन दिन, उसके बाद? उसके बाद ऐसा लगेगा जैसे कि हम एक मरीज हैं। ठीक उसी प्रकार हमारा मन का भोजन है हमारे विचार। और हमारे विचारों को प्रभावित करती है हमारी दिनचर्या। यदि हमारी दिनचर्या सदा एक जैसी है, उसमे कोई नवीनता नही, तो हम जीवन मे बुझा बुझा महसूस करते हैं। तो हमे जरूरत है , हमारी दिनचर्या में नवीनता लाने की। या यूं कह सकते हैं कि वही दिनचर्या को नया बनाने की। इससे हमे उमंग रहेगा और हम सकारात्मक संकल्प रच सकते हैं। और हर दिन नए उमंग और आशा के साथ जी सकते हैं।
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