🙏 ईश्वर हमारा *भाग्य* नहीं लिखता.. हम स्वयं ही अपने संकल्प, बोल व् कर्म द्वारा अपनी नैया *तारते* अथवा *डुबोते* हैं, इसलिये ईश्वर से कृपा की गुहार करने की जगह हमें अपनी सोच, बोल व् कर्म पर विशेष *ध्यान* रख *स्वयं* अपने आप पर कृपा करनी पड़ेगी।
🙏 अपनापन, परवाह, आदर, और थोड़ा समय
....यही वो दौलत है जो अकसर हमारे अपने हम से चाहते हैं....
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