Why Did This Happen To Me ?
मेरे साथ ऐसा क्यों हुवा ?
जैसा कर्म वैसा फल
यह कुदरत का नियम है , जो जैसा करेगा वैसा पायेगा।
हमारा आज वर्तमान जैसा भी है उसके जिम्मेदार सिर्फ हम है, क्योंकि वह बीते कल के किये कर्म का फल है और आज हम जैसा कर्म करेंगे वैसा हमारा भविष्य बनेगा।
सोचना , बोलना , सुनना, देखना यह सब कर्म में आता है। इसलिए हमें अच्छा सोचना है, अच्छा बोलना है अच्छा करना है।
श्रेष्ठ कर्म का आधार धर्म है।
शांति, प्रेम , दया, करुणा, पवित्रता, आत्मिक भाव यही श्रेष्ठ धर्म है।
परमात्मा कहतें :
"दुआ दो दुआ लो"
"सुख दो सुख लो।"
मेरे साथ ऐसा क्यों हुवा ?
जैसा कर्म वैसा फल
यह कुदरत का नियम है , जो जैसा करेगा वैसा पायेगा।
हमारा आज वर्तमान जैसा भी है उसके जिम्मेदार सिर्फ हम है, क्योंकि वह बीते कल के किये कर्म का फल है और आज हम जैसा कर्म करेंगे वैसा हमारा भविष्य बनेगा।
सोचना , बोलना , सुनना, देखना यह सब कर्म में आता है। इसलिए हमें अच्छा सोचना है, अच्छा बोलना है अच्छा करना है।
श्रेष्ठ कर्म का आधार धर्म है।
शांति, प्रेम , दया, करुणा, पवित्रता, आत्मिक भाव यही श्रेष्ठ धर्म है।
परमात्मा कहतें :
"दुआ दो दुआ लो"
"सुख दो सुख लो।"
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